आज कल

आज कल
जो भी
बातें हो रही हैं
अच्छे होते हुए भी
चुभे जा रहे है
दिल को
जैसे
चीर कर
कुछ निशान
छोड़ जाना
चाहता हो
की किसी ने कहा
हंसी मज़्हक में
भाई आप तो हो बड़े दिलचस्प
और आंसू भर आये
मेरी आँखों में
कोई जैसे कहे की
हो तुम में कुछ बात
अलग सी
समाज नहीं पाता हुम्
करूँ तो बात कैसे करुं
तुमसे
बस यह मुस्कुराहट
बनाए रखना तुम
चला आऊंगा
तुमसे मिलने
दिल को कुश करने
सुनते ही
जैसे आंसू का पहाड़
टूट रहा हो अंदर
और निकल
आये
फवारें बनकर
की शब्द
ढूढ़ने पड़े मुझे
इतना बोलने में
कि
अब मैं चलूँ
बाद मैं मिलती हुम्

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