कुछ तो तुम में होगी
जो उनको डराता है
खरीब आने से
कुछ तो होगी
खामियां
तुम्हारे अंदर
जिससे वह
घबराता होगा
सोचता होगा
की तुम
कुछ ऐसी होगी
खून चूसने वाली जैसी
की जितनी दूर रहे तुमसे
उतना अच्छा है
पता है एक बात
जो दोस्त आज
फिर कह रही थी
की तुम एक आज़ाद परिंदा जैसी हो
की दाईरे अब थक जाएंगे
तुमको बांधने की प्रयत्न करते करते
आज़ादी का ऐसा चस्का चढ़ा
है तुम पर की
पाबंदियां
तुम थोड़के ही रहोगी
हर जो बंधा जो बांधने का
कोशिश करेगा
हार जायेगा पूरी तरह
बस कोई ऐसा हो काश
जिसको इस आज़ादी का
डर न हो
जिसको यह पता हो की
मुरझा जाओगे तुम
पूरी तरह
अगर बांध लिए जाये
बस दो कदम
साथ चले कोई ऐसा
जिसको यह यकीन हो
की तुम दूर की हो चलने वाली
साथ कभी न छोड़ने वाली
बस समझ ने का कोशिश
करे कोई
हिम्मत ज़िन्दगी ने
ऐसे सिखाई
की हर मुश्किल पर
बस हस्ती रहे तुम
पर यह भी तो देखो
की दुख न तुम्हारे अंदर
नहीं अभी भी भरी कोई खडवाहठ
की मधुर ही हो तुम
आज भी और बातें तुम्हारी
सपने आज भी हैं
रंगीली सी
हंसी आज भी हैं
ज़िंदा
कभी
बेसुरी सही
गाने बनके
निकल जाते हैं
लफ्ज़ ढूढ़ने
कोई ऐसा मिले
आशियाना
जो समझ सखे की
की दिल अभी भी जवान हैं
सपने अभी भी हो सकते हैं साकार