सूनी सी
इन शब्दों में
क्या बात कर पाऊँगी मैं
जब सोच ही है
समज के परे
कैसे कर पाऊँगी मैं
इन सुनी सी शब्दों में
अपनी दिल कि बात
और फिर
कह भी दूँ तो,दोस्त
तुम समज न पाओगे
मन कि गहराईयों को
किसने नापा है अब तक
छोड़ दो, चलो, चाय तो पी लो
सूनी सी
इन शब्दों में
क्या बात कर पाऊँगी मैं
जब सोच ही है
समज के परे
कैसे कर पाऊँगी मैं
इन सुनी सी शब्दों में
अपनी दिल कि बात
और फिर
कह भी दूँ तो,दोस्त
तुम समज न पाओगे
मन कि गहराईयों को
किसने नापा है अब तक
छोड़ दो, चलो, चाय तो पी लो
4 responses to “चाय और चर्चा”
This is so deep… 👌
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Thank you so much. Hindi is a language I love but am not very sure of 🙂
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It touched so mission has accomplished don’t think much to it…
You write pretty well…
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🙂 Thanks
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