चाय और चर्चा

सूनी सी
इन शब्दों में
क्या बात कर पाऊँगी मैं


जब सोच ही है
समज के परे
कैसे कर पाऊँगी मैं
इन सुनी सी शब्दों में
अपनी दिल कि बात


और फिर
कह भी दूँ तो,दोस्त
तुम समज न पाओगे
मन कि गहराईयों को
किसने नापा है अब तक

छोड़ दो, चलो, चाय तो पी लो

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