तन्हाई

तन्हाई का यह रंग कुछ नया सा था
इस बार कुछ अलग ही चाल भी
आवाज़ भी बोल भी तो मैं भी सोचने
लगी कुछ तो है बदला बदला सा है
आवाज़ नींद में भी जैसे गूँज रहा हो
ऐसा जैसा कोई पुकार रहा हो
बस दूर से एक आवाज़ बस शब्द
न कोई चेहरा न कोई पहचान
अँधेरा जैसे कुछ कम हो गया हो
जैसे दिल मैं कोई नया सा राग
कुछ हल्का होने का अहसास
कुछ नया भिगाडके बनने का आस
कुछ नयी सी रौशनी
पर विश्वास जो टूट गया हो
जल्दी वापस नहीं जुड़ती
तो बस अब समय
का इंतज़ार है
यह रास्ता किस तरफ मुड़ेगा
चलो यह भी देख लेते है

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